24 September 2021

तप और यज्ञ

 सनातन (धर्म) की शाश्वत मान्यता के अनुसार जीवन की उन्नति के मुख्य दो बिंदु हैं, आंतरिक और बाहरी.



सनातन में जीवन की उन्नति के दो विशिष्ट माध्यम बताए गए हैं, तप और यज्ञ.
तप जीवन की श्रेष्ठता को प्राप्त करने का आंतरिक मार्ग है. दूसरा बाह्य मार्ग यज्ञ का है जो सृष्टि को उन्नतशील और श्रेष्ठ बनाने का साधन है.
शिव एक तपस्वी है और वह कैलाश पर तपस्या रत हैं.
वह स्वयं के अंदर झांक कर अपना रूपांतरण करके जीवन में श्रेष्ठता प्राप्त करने का वह मार्ग प्रशस्त करते है जिसमें असीमित ऊर्जा और अनंत संभावनाएं निहित हैं.
वहीं दूसरी ओर अग्नि का आव्हान करके किया जाने वाला यज्ञ अखिल विश्व के कल्याण का साथन है.
तप स्वयं के माध्यम से सम्पूर्ण सृष्टि का और यज्ञ समग्र सृष्टि के साथ-साथ स्वयं के कल्याण का श्रेष्ठ साधन मार्ग है.
महाशिवरात्रि वह समय है जब 'तपस्वी' शिव विवाह की 'यज्ञ वेदी' पर उपस्थित होते हैं. तब आदि-योगी आदि-शक्ति के साथ युग्मित होते हैं.
शिव विवाह की यह घटना असाधारण है जब स्वयं और सृष्टि का रूपांतरण करने में समर्थ शक्तिया (तप और यज्ञ) एक ही स्थान पर प्रस्तुत होती है.
इसीलिए महाशिवरात्रि एक बड़ी घटना है.
तप द्वारा स्वयं को श्रेष्ठ बनाकर किया जाने वाला यज्ञ सृष्टि के कल्याण का सर्वोत्तम कारक है. महाशिवरात्रि इसी महा प्रयास का प्रारंभ है. यह महारात्रि है.
शिव कल्याणकारी हैं जो हमारे नियोजित यज्ञ का विधान पूर्ण करने में अभीष्ट है.
महाशिवरात्रि की आप सभी को असीम शुभकामनाए.
ॐ नमः शिवाय

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