17 August 2018

अटल मरते नहीं, अटल मरा नहीं करते.....

कल अटल जी नहीं रहे...... उनका जाना दुखी कर गया. 
पर आज मैं और ज्यादा दुखी हो रहा हूँ जब अखबारों और मीडिया में उनकी उपलब्धियों को देख पढ़ रहा हूँ.
अनेको पृष्ठ रंगे गए है, घंटो टीवी पर कार्यक्रम हो रहे है, पर क्या अटल जी का वास्तविक मूल्यांकन किया जा रहा है? क्या वर्तमान पत्रकारिता इस विराट पुरुष का मूल्यांकन करने में अक्षम साबित हो रही है?
या शोक सन्देश, संस्मरण,उपलब्धिया लिखने वाले, मूल्यांकन करने वाले बुद्धिजीवी व्यावसायिक रूप से स्तरहीन यथार्थ परोसने में लगे है? या फिर यह समय पत्रकारिता की गुणवत्ता को क्षीण होते हुए देखने का है?

बड़े लोगो के काम बड़े होते है और उन बड़े कार्यो को जनमानस के लिए अंकित करने का काम भी बड़ा होता है. दुःख है कि आज समाचार पत्र और टीवी अपने इस दायित्व को निभाने में असफल प्रतीत हो रहे है. 
विराट व्यक्तित्व का मूल्यांकन कर उसे इतिहास में मानक के रूप में दर्ज करना जरूरी है नहीं तो.......आने वाली पीढ़िया उन्हें वास्तविक रूप में याद नहीं कर सकेगी और इसकी जिम्मेदारी वर्तमान की होगी।

अटल जी हमारे पडोसी भी हुआ करते थे क्योकि उनकी बहन हमारी कॉलोनी में रहती थी और उनका वहां बहुत आना जाना होता था. मेरी स्मृति में अटल जी की पहली छवि तब की है जब कॉलोनी के किसी सादे से सार्वजनिक समारोह में मेरी माँ उनकी आरती उतार रही थी और मैं उस भीड़ का हिस्सा बना मामाजी (कॉलोनी के सभी बच्चे उन्हें इसी नाम से बुलाते थे) को और आटें के बने आरती के बड़े से दिए को देख रहा था. यह तब था जब वो विदेश मंत्री हुआ करते थे. हम बच्चो के साथ वो खेले भी और बाते भी की. तब पता नहीं था कि किस व्यक्तित्व से मिल रहे है, हमारे लिए वो बस एक बड़े व्यक्ति थे जिन्हे हमारे माता पिता भी सम्मान दे रहे थे.

अटल जी का पूरा जीवन देश के लिए कुछ अच्छा करने, अच्छा करने का प्रयास करने के और मौके ढूंढने में लगा रहा.
-विपक्ष में रहते हुए जब UN जा रहे भारतीय दल का नेतृत्व उन्हें सौपा गया तो वहाँ  उन्होंने हिंदी में संवाद करके भारत को सम्मान दिलाया।
-१३ दिन की सरकार जब गिरी तो अटल जी ने राजनितिक शुचिता के आदर्श स्थापित किये। सरकार गिर जाने दी पर देश के प्रजातंत्र पर कालिख नहीं लगने दी.
-पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया पर पीठ में छुरा खाया।
-कंधार में अपृहतो को बचाने के लिए दुर्दांत आतंकियों को छोड़ा। यह एक सार्वजनिक निर्णय था फिर भी सारी जिम्मेदारी स्वयं के ऊपर ले ली और कलंक ओढ़ लिया।

इस विराट व्यक्तित्व को देश सेवा का उचित अवसर तब मिला जब वो गठबंधन की सरकार में प्रधानमंत्री बने. उनकी इन्ही वास्तविक उपलब्धियों को आज मीडिया ने सिरे से गायब कर दिया है. अफ़सोस आज मीडिया इस सच से आखे मूंदे बैठा है और देश की युवा पीढ़ी को इस बारे में पता ही नहीं चल पा रहा है.

यहाँ उनके उन पांच दूरदर्शी निर्णयों को रेखांकित किया गया है जिन्होंने भारत देश की गति और दिशा को हमेशा के लिए बदल दिया। 


पहला निर्णय -----

इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास- अटल जी ने  चारो महानगरों और उनके आस-पास विकसित औद्योगिक नगरों को महत्वाकांक्षी 'स्वर्णिम चतुर्भुज' सड़क योजना से जोड़ा।
'प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना' द्वारा देश के ग्रामीण क्षेत्रो में सडको का जाल बिछाया।
इस निर्णय का देश को लाभ-1998 मं पाकिस्तान की प्रतिव्यक्ति आय भारत के प्रति व्यक्ति से लगभग १५% ज्यादा थी. ऊर्जा की खपत देश की औद्योगिक क्षमता का मानक होती है. उस काल में पाकिस्तान की प्रतिव्यक्ति ऊर्जा खपत भारत की प्रतिव्यक्ति ऊर्जा खपत से २३ % ज्यादा थी. 
सड़को का जाल बिछने से २००४ तक भारत की प्रति व्यक्ति आय और ऊर्जा खपत पाकिस्तान से ज्यादा हो गई. २००४ से २०१४ तक लगभग यथास्थिति बानी रही, मोदी काल में (२०१४ से २०१७) हमारी प्रतिव्यक्ति आय पाकिस्तान की प्रतिव्यक्ति आय से १५% और ऊर्जा की खपत ३०% से ज्यादा हो चुकी है. और यह अंतर दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है.

दूसरा निर्णय-----

विनिवेश (Disinvestment)-सरकार का काम व्यापर करना नहीं है, इस दर्शन के निमित्त VSNL, Hindustan Zinc, BALCO, IPCL आदि सार्वजनिक उपक्रमों को मुक्त बाजार में बेचा गया.
इस निर्णय का देश को लाभ-भारतीय बाजार में पूँजी और तकनीक का आगमन हुआ. नए उद्योगों को जरूरी बल मिला और जीडीपी की वृद्धि दर ६-७% से ऊपर पहुंच गयी.

तीसरा निर्णय-----

Operation शक्ति-जय जवान,जय किसान,जय विज्ञान की नीति के तहत १९९८ में हाइड्रोजन बम का परिक्षण किया और विश्व में भारत का परचम लहरा दिया।
इस निर्णय का देश को लाभ-देश में आत्मविश्वास का संचार हुआ, तकनिकी श्रेष्ठता प्राप्त करने की ललक बढ़ी और देसी तकनीक का तेजी से विकास हुआ. भारत तकनीकी क्षेत्र में स्वावलम्बन की दिशा में अग्रसर हुआ. हम दूसरे देशो के ऊपर कम आश्रित होने लगे और विदेशी ताकतों की ब्लैकमेलिंग ख़तम हुई.

चौथा निर्णय-----

आर्थिक ढांचे में मूलभूत परिवर्तन करने संबंधित निर्णय-सार्वजनकि उपक्रमो का राजकोषीय घाटा कम करने के लिए वर्ष २००० में 'उत्तरदायित्व अधिनियम' लाये।
दूरसंचार के क्षेत्र में लाइसेंस फीस समाप्त की और कंपनियों से लाभांश लेना शुरू किया।
इन निर्णयों का देश को लाभ-सार्वजनिक उपक्रमों की बचत ०.८%से बढ़कर २.३% हो गयी अर्थात वो घाटे से बाहर होकर लाभ कमाने लगे. (बचत वही संसथान कर सकता है जो लाभ अर्जित कर रहा हो)
दूरसंचार की दरे गिरी और मोबाइल फ़ोन जन-जन तक पहुंच गया, रिलांयंस ने नारा दिया "कर लो दुनिया मुट्ठी में". असली दूरसंचार क्रांति कांग्रेस नहीं अपितु अटल जी के शाशन काल में आयी.

पांचवा निर्णय-----

विदेश नीति को मुखर किया और नेहरूवादी परमपरा को तोड़ते हुए अमेरिका को भारत का 'स्वाभाविक एवं प्राकृतिक साथी' निरूपित किया।
इस निर्णय का देश को लाभ-दुनिया को कूटनीति के क्षेत्र में एक नया शब्द और विचार मिला - 'Natural Allies'. 
पहले मित्र राष्ट्र, गुट राष्ट्र आदि होते थे पर स्वाभाविक रूप से मित्र या शत्रु होने के विचार को खुले रूप से मान्यता अटल जी के अमेरिका दौरे के दौरान दिए भाषण से मिली। अमेरिका का रुझान भारत की तरफ बढ़ा और देश हित में कई समझौते हुए. न्यूक्लियर डील की आधार शिला रखी गयी. 
अमेरिका भारत का मित्र बना और अमेरिका का पाकिस्तान से मोह-भंग होना शुरू हो गया.


भारत रत्न व्यक्तित्व को नहीं अपितु व्यक्ति के द्वारा देशहित मे किये गए कार्यो  के लिए प्रदान किया जाता है. जब कोई 'भारत रत्न' दिवंगत होता है तो सिर्फ उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन नहीं होना चाहिए वरन उसके कार्यो को भी देश के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से अंकित करना चाहिए। तभी तो भावी पीढ़ी जानेगी की क्यों अटल जी भारत रत्न है.

मेरा अनुरोध है वर्तमान में आप सभी समाचार पत्र-पत्रिकाओं को पढ़िए, टीवी देखिये और फिर विश्लेषण करिये कि क्या हमें सही बात बताई जा रही या छुपाई जा रही है? अगर आपको लगता है कि सत्य को उचित स्थान नहीं मिल रहा है तो क्या आप २०१९ में इस मीडिया पर भरोसा कर सकेंगे?

यही समय है जब आप मीडिया का मूल्यांकन करते है, पत्रकार अटल जी को यह एक सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी। द नेशनलिस्ट न्यूज़ पोर्टल सही खबरें और सच्ची खबरें देने के लिए आया है आप जरूर इसे देखते रहिए इनसाइड स्टोरी और ब्रेकिंग न्यूज़ इसकी खासियत है.  http://thenationalist.news 

ॐ शांति