31 August 2019

Culture of Growth


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Our reality is made of our beliefs and our believes are designed by our environment and our environment is reflected through our culture. We need to evolve continuously with our culture in our pursuit to change and adopt growth and progress for prosperity and happiness.

These desired changes should be good and properly designed. In an organisation the Culture needs to be filled with lots of creativity to evolve through...

  1. Communication with inquisitiveness 
  2. Commitment among team member 
  3. Approach par excellence to create and innovate continuously, and...
  4. Empathy and Trust among team members.




To become such a team and create such an environment a specific set of skill is needed to move forward.

  1. Growth Mindset
  2. Analytical Capabilities
  3. Creative Thinking
  4. Empathy and Understanding
  5. Emotional Intelligence
  6. Collaboration Skills
  7. Cooperation Skills
  8. Cultural Intelligence

To hone these skills each member of team should remain motivated, engaged and become resilient.

Positivity, Hope, Gratitude should be the part of behavior to become more creative and innovative.

To be an effective leader practice of personal and professional self believes and high level of awareness and consciousness for achieving greater possibilities is most essential.

Happy Learning !!
H K Lall

10 June 2019

ऊँघते शहर के अनमने रास्ते



इस वीरान गाँव के, बियाबान बाग में
हम उठते-गिरते रहे, लड़खड़ाते रहे
साथ के लिए साख, दांव पे लगाते रहे
पर कंधा सबसे मिलाकर, कदम उठाते रहे

ऊंघते शहर के, ये अनमने रास्ते
मेरी महफ़िल में कुछ, गुनगुनाते रहे
मैं वहीं पर रुका, यूहीं ठिठका रहा
तुम बहुत देर तक, दूर जाते रहे

सोम मिलता रहा, पर जग से रीते रहे
जहर पीते रहे, और जीते रहे
यम परखता रहा, हम उसे बुलाते रहे 
मैं वहीं पर रुका, यूहीं ठिठका रहा
तुम बहुत देर तक, दूर जाते रहे
ऊंघते शहर के, ये अनमने रास्ते
मेरी महफ़िल में कुछ, गुनगुनाते रहे

खुशनुमा धुंध की, शोख़ सी बयार में
सुध बिसरती रही, होश अलसाते रहे
हम गर्म यादों से उनको जगाते रहे 
तुम सर्द आहों से उनको सुलाते रहे
मैं वहीं पर रुका, यूहीं ठिठका रहा
तुम बहुत देर तक, दूर जाते रहे
ऊंघते शहर के, ये अनमने रास्ते
मेरी महफ़िल में कुछ गुनगुनाते रहे

दाग जब भी कोई गहरा लगा
घाव जब भी कोइ दिल पर हुआ
आखिरी छोर पर एक झरोखा खुला
हवा पर सवार, हम तो तैयार हैं
उस झरोखे के पार, आते-जाते रहे
मैं वहीं पर रुका, यूहीं ठिठका रहा
तुम बहुत देर तक, दूर जाते रहे
ऊंघते शहर के, ये अनमने रास्ते
मेरी महफ़िल में कुछ, गुनगुनाते रहे

फिर कुछ ऐसा हुआ, मैं दूर तक चलता गया
इसलिये अनकही भी, अनसुनी करता गया
बिसरे वादों के, खूँखार खंजरो के निशां
चाक कलेजे के, हौसलों को चिढ़ाते रहे 
मैं वहीं पर रुका, यूहीं ठिठका रहा
तुम बहुत देर तक, दूर जाते रहे
ऊंघते शहर के, ये अनमने रास्ते
मेरी महफ़िल में कुछ, गुनगुनाते रहे.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हर्ष कुमार लाल 
दि. 10th जून, 2019


3 June 2019

नर्मदा अष्टकम् - पाठ एवं अनुवाद

संसार की सबसे प्राचीन नदी माँ रेवा, नर्मदेश्वर महादेव का स्रोत स्थल, धरा पर जीवन बीज का प्रथम धारक स्थल, चिरकुवारी नर्मदा, हठी माँ नर्मदा, नमामि देवी नर्मदे।


आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा विरचित नर्मदा अष्टकम का संस्कृत पाठ एवं हिंदी अनुवाद प्रस्तुत है।

सविन्दु सिन्धु-सुस्खलत्तरंगभंगरंजितं
द्विषत्सु पापजातजात करिवारी संयुतं ।
कृतांतदूत कालभूत भीतिहारी वर्मदे,
त्वदीय पादपंकजं नमामि देवि नर्मदे ।।१।।

अनुवाद:- (अंत – समय मे ) यम-दूतों तथा (सर्वदा) कल-भूतों के भय का हरण करके, रक्षा करनेवाली, हे माँ नर्मदा देवि ! अपने जल-कणों द्वारा समुद्र की उछलती हुई लहरों में रोचक दृश्य उत्पन्न करने वाले तथा शत्रुओं के भी पाप-समुदाय को नाश करने वाले, निर्मल जल-सहित आपके चरण कमलों को में नमस्कार करता हूँ ॥१॥

त्वदंबु लीनदीन मीन दिव्य संप्रदायकं,
कलौ मलौघभारहारि सर्वतीर्थनायकं ।
सुमत्स्य, कच्छ, नक्र, चक्र, चक्रवाक शर्मदे,
त्वदीय पादपंकजं नमामि देवि नर्मदे ।।२।।

अनुवाद :- मत्स्य (मछ्ली), कच्छ (कछुआ), नक्र (मगर) इत्यादि जल-जींव-समुदाय, तथा चक्रवाक (चकई-चकवा) आदि पक्षी-समुदाय को सुख देनेवाली हे नर्मदा जी ! आपके जल मे मग्न रहनेवाले दीन-दु:खी मतस्यों को दिव्य (स्वर्ग) पद देनेवाले, तथा इस कलियुग के पापपुजरूपी भार को हारनेवाली, और सर्व तीर्थों (जालों) मे श्रेष्ठ ऐसे जल-युक्त आपके चरणकमलों को मै प्रणाम करता हूँ ।।२।।

महागभीर नीरपूर – पापधूत भूतलं,
ध्वनत् समस्त पातकारि दारितापदाचलम् ।
जगल्लये महाभये मृकंडुसूनु – हर्म्यदे,
त्वदिय पादपंकजं नमामि देवि नर्मदे ॥३॥

अनुवाद :- महान भयंकर संसार के प्रलय में मार्कण्डेय ऋषि को आश्रय देनेवाली, हे नर्मदा देवि ! अत्यंत गंभीर जल के प्रवाह द्वारा पृथ्वी-तल के पापों को धोनेवाले, तथा अपने कलकल शब्दों द्वारा समस्त पातकों को नाश करने वाले तथा संकटों के पर्वतों को विदीर्ण करने वाले, ऐसे आपके जलयुक्त चरण – कमलों को मै प्रणाम करता हूँ ॥३॥

गतं तदैव मे भयं त्वदंबुवीक्षितं यदा,
मृकण्डुसूनु शौनकासुरारिसेवितं सदा।
पुनर्भवाब्धि जन्मजं भवाब्धि दु:ख वर्मदे,
त्वदिय पादपंकजं नमामि देवि नर्मदे ॥४॥

अनुवाद :- मार्कण्डेय, शौनक, तथा देवताओं से निरंतर सेवन किए गए,आपके जल को जिस समय मैंने देखा, उसी समय मेरे जन्म-मरण-रूप दु:ख और संसार-सागर मे उत्पन्न हुए समस्त भय भाग गए । संसाररूपी समुद्र के दु:खों से मुक्त करेने वाली, हे नर्मदा जी ! आपके चरणकमलों को मै प्रणाम करता हूँ ॥४॥

अलक्ष्य-लक्ष किन्नरामरासुरादि पूजितं,
सुलक्ष नीरतीर – धीरपक्षी लक्षकूजितं।
वशिष्ठ शिष्ट पिप्पलादि कर्दमादि शर्मदे,
त्वदिय पादपंकजं नमामि देवि नर्मदे ॥५॥

अनुवाद :- वसिष्ठ ऋषि, श्रेष्ठ पिप्पलाद ऋषि, तथा कर्दम आदि ऋषियों को सुख देने वाली, हे माँ नर्मदा देवि ! अदृश्य लाखों किन्नरों (देवयोनि विशेष ), देवताओं, तथा मनुष्यों से पूजन किए गए, और प्रत्यक्ष आपके जल के किनारे निवास करने वाले लाखों पक्षियों से कूजित (किलकिलाहट) किए गए, आपके चरण कमलों को मे प्रणाम करता हूँ॥५॥

सनत्कुमार नाचिकेत कश्यपादि षट्पदै,
घृतंस्वकीय मानसेषु नारदादि षट्पदै: ।
रविंदु रंतिदेव देवराज कर्म शर्मदे,
त्वदिय पादपंकजं नमामि देवि नर्मदे ॥६॥

अनुवाद:- सूर्य, चन्द्र, रविन्तदेव, और इंद्रादि देवताओं को सुख देनेवाली, हे माँ नर्मदा जी ! सनत्कुमार नाचिकेत, कस्यप, आत्रि, तथा नारदादि ऋषिरूप जो भ्रमर उनसे अपने-अपने मन मैं धारण किए गए, ऐसे आपके चरण कमलों को मैं बार-बार प्रणाम करता हूँ ॥६॥

अलक्ष्यलक्ष्य लक्ष पाप लक्ष सार सायुधं,
ततस्तु जीव जन्तु-तन्तु भुक्ति मुक्तिदायकम्।
विरंचि विष्णु शंकर स्वकीयधाम वर्मदे,
त्वदिय पादपंकजं नमामि देवि नर्मदे ॥७॥

अनुवाद:- ब्रह्मा, विष्णु, तथा इनको अपना-अपना पद (सामर्थ्य तथा स्थान) देनेवाली, हे माँ नर्मदा देवि ! जिनकी गणना करने को मन भी नहीं पहुचता, ऐसे असंख्य पापों को नाश करने के लिए प्रबल आयुध (तीक्ष्णा तलवार) के समान, तथा आपके किनारे पर रहनेवाले जीव ( बड़े-बड़े प्राणी) जन्तु (छोटे प्राणी) तन्तु (लता-वीरुध) अर्थात् स्थावर-जंगल समस्त प्राणियों को इस लोक का सुख तथा परलोक (मुक्ति) का सुख देनेवाले, ऐसे आपके चरणकमलों को मै प्रणाम करता हूँ ॥७॥

अहोमृतं स्वनं श्रुतं महेशकेशजातटे,
किरात-सूत वाडवेषु पंडिते शठे-नटे ।
दुरन्त पाप-तापहारि सर्वजन्तु शर्मदे,
त्वदिय पादपंकजं नमामि देवि नर्मदे ॥८॥

अनुवाद:- अहह ! शंकर जी की जटाओं से उत्पन्न रेवा जी के किनारे मैंने अमृत के समान आनंददायक कलकल शब्द सुना, समस्त जाति के प्राणियों को सुख देनेवाली, हे माँ नर्मदा जी ! किरात (भील) सूत ( भाट ) बाडव (ब्राह्मण) पंडित (विद्वान) शठ (धूर्त) और नट, इनके अनंत पाप पुंजों के तापों को हरण करनेवाली, ऐसे आपके चरण कमलों को मै प्रणाम करता हूँ ॥८॥

इदंतु नर्मदाष्टकं त्रिकालमेव ये यदा,
पठंति ते निरंतरं न यान्ति दुर्गतिं कदा ।
सुलभ्य देह दुर्लभं महेशधाम गौरवं,
पुनर्भवा नरा न वै विलोकयन्ति रौरवम् ॥९॥
अनुवाद:- जो भी इस नर्मदाष्टक का प्रति-दिन तीन कल ( प्रात:, सायं, मध्यान्ह) मे पाठ करते है, वे कभी भी दुर्गति को नहीं प्राप्त होते, तथा अन्य लोकों को दुर्लभ ऐसे सुंदर शरीर धरण का कर शिवलोक को गमन करते है, तथा इस लोक मे सुख पाते है और पुनर्जन्म के बंधन से छूट कर कभी भी रौरवादि नरकों को नहीं देखते ॥९॥

इति नर्मदाष्टकम पूर्ण

4 February 2019

Become an Interesting Person

Successful People are Interesting People - Become One!


Interesting people can attract you like magnet, hold your attention, and engage you for a very long period of time.
But.....What do they do to attract you?
How do they hold your attention?
Why they are able to engage you for a very long period of time?



  • It takes time, lots of preparations, and hard work to become one such interesting person.

  • These people are very smart Learner having a mind with 'Open-Architecture'. They seems to know more than others because they read more. They have a very curious mind and a funny humorous heart.

  • You can also become one such interesting person if you choose to work for it. Adopting a certain 'Learning Mindset' will make you more interesting.

  • Interesting people are very good story teller and they are always equipped with stories to share. You should also learn some very interesting ways to tell few good stories.

  • Interesting People are very good active listener and they respond compassionately when you tell them something.
  • They ask questions - simple yet meaningful.
  • They speak their heart out and express themselves with transparency. They say exactly what they think.

  • Becoming more knowledgeable in your chosen area of interest and mastering your craft makes you more interesting for others. Taking help of professionals is nice idea to gain new and improve existing knowledge.

  • Our environment impacts and influence a lot to us, being in the company of interesting people helps to improve our interesting quotient.


  • Meeting with people with different outlooks and views on life is a very interesting way of exploring the life and becoming an interesting person.


  • Challenge yourself to meet various different new people, be yourself, and practice inner weirdness to avoid becoming boring.

Take interest in your interests, the world will take interest in you.

Learn to adopt a mindset to become interesting.


We can help.
H K Lall