इसके बीज रत्ती कहलाते है.
इनमें एक जहरीला तत्व Arbin होता है जो कम मात्रा में भी घातक है.
पारम्परिक रूप से प्राचीन भारतीय पद्धति में तौल की एक छोटी इकाई रत्ती होती है. इसका उपयोग स्वर्ण और रत्नो का वजन मापने में किया जाता है क्योकि आश्चर्यजनक रूप से इसके सभी दानों का भार बिल्कुल एक बराबर होता है, 0.12125 ग्राम.
8 धान = 1 रत्ती
8 रत्ती = 1 माशा
12 माशा = 1 तोला
5 तोला = 1 छटांक
16 छटांक = 1 सेर (7680 रत्तिया)
5 सेर = 1 पंचसेरी
8 पंचसेरी = 1 मन
(एक बड़ी रत्ती में 0.91 कैरेट होते है)
● हिन्दी - गुंजा, चौंटली, घुंघुची, रत्ती
● संस्कृत - उच्चटा (सफेद), कृष्णला (काली), रक्तकाकचिंची (लाल)
● बंगाली - कुच
● मराठी - गुंज
● गुजराती - धोलीचणोरी, राती, चणोरी
● तेलगू - गुलुविदे
● फारसी - चश्मेखरुस
● अंग्रेजी - Jequirity Bean, Rosary Pea
ख्रीस्तीनी पादरी लोग इसी Rosary Beads की माला (रत्ती माला) को अपने धार्मिक कार्यो और जाप में उपयोग करते है.
प्राचीन समय से ही भारत में गुंजा का कई तांत्रिक अनुष्ठानो में प्रयोग होता आया है. आम भारतीय घर में गुंजामाला पूजाघर में स्थापित ठाकुर जी की मूरत पर सजाई जाती है.
भगवान कृष्ण को गुंजा प्रिय है और वह गुंजामाला धारण करते है.
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